अगर आपका स्टॉक ब्रोकर बंद हो जाए तो आपके मौजूदा शेयर्स और फंड्स का क्या होगा?

क्या आपने कभी सोचा है अगर आपका ब्रोकर बंद हो जाता है तो आपके डीमैट अकाउंट में मौजूदा शेयर्स और फंड्स का क्या होगा? आप कैसे उन शेयर्स और फंड्स को वापस ले सकते हैं? आइए जानते हैं।

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Share Market NEWS : भारत में आज के समय में शेयर बाजार की तरफ आम लोगों का रुझान काफी बढ़ा है और इसका सीधा फायदा स्टॉक ब्रोकर को हो रहा है।

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क्योंकि शेयर मार्केट में किसी भी स्टॉक को खरीदने या बेचने के लिए आपके पास किसी ना किसी ब्रोकर के साथ डीमैट तथा ट्रेडिंग अकाउंट होना जरूरी है और अगर स्टॉक ब्रोकर की बात करें तो भारत में ज्यादातर लोग डिस्काउंट ब्रोकर के पास ही अपना ट्रेडिंग तथा डीमैट अकाउंट खुलवा रहे हैं। भारत में आज के समय में 300 से भी ज्यादा डिस्काउंट ब्रोकर हैं।

लेकिन डिस्काउंट ब्रोकर के पास अपना डीमैट तथा ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाने का सबसे बड़ा घाटा यह है कि अगर आपको कोई भी परेशानी होती है तो आपको ईमेल के ही माध्यम से उसे ठीक करना होगा।

डिस्काउंट ब्रोकर के पास अपना डीमैट तथा ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाने का एक और घाटा यह भी है कि वे कब बंद हो जाएंगे यह किसी को भी नहीं पता होता। ऐसे में अगर आपका भी ब्रोकर बंद हो जाता है तो आपके मौजूदा शेयर्स और फंड्स का क्या होगा?

अगर आपने भी अपना डीमैट तथा ट्रेडिंग अकाउंट किसी डिस्काउंट ब्रोकर के पास खुलवाया है तो यह आर्टिकल आपके काम की है। क्योंकि आज हम इस आर्टिकल में आपको यह बताने वाले हैं कि अगर आपका भी ब्रोकर 2023 में बंद हो जाता है तो आपके मौजूदा शेयर्स और फंड्स का क्या होगा? आप कैसे उन शेयर्स और फंड्स को वापस ले सकते हैं? आइए जानते हैं।

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अगर आपका ब्रोकर बंद हो जाए तो आपके डीमैट अकाउंट में मौजूदा शेयर्स का क्या होगा?

शेयर को खरीदने या बेचने के लिए आपके पास डीमैट अकाउंट तथा ट्रेडिंग अकाउंट का होना जरूरी है। जब भी आप किसी ब्रोकर के पास अपना डीमैट तथा ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाते हैं तो ब्रोकर आपका ट्रेडिंग अकाउंट खोलता है और आपका डीमैट अकाउंट डिपोजिटरी में खुलता है।

भारत में सिर्फ दो ही डिपोजिटरी हैं – एनएसडीएल तथा सीडीएसएल। जब भी आप कोई शेयर खरीदते हैं तो वह शेयर आपके डीमैट अकाउंट में आ जाता है जो कि एनएसडीएल या सीडीएसएल किसी न किसी डिपोजिटरी में, जिसमें आपका ब्रोकर आपका डीमैट अकाउंट खोलता है उसमें, आपका शेयर सुरक्षित रहता है।

तो अगर आपका ब्रोकर बंद भी हो जाता है तब भी आपका शेयर एकदम सुरक्षित रहेगा और आप उसे जब चाहें तब क्लेम कर सकते हैं। लेकिन एक दिक्कत यह भी है कि अगर शेयर आपके पास आपके डीमैट अकाउंट में है तभी आप उसे क्लेम कर सकते हैं।

अगर आपका शेयर आपके डीमैट अकाउंट में नहीं है तो आप उसे क्लेम नहीं कर सकते। क्योंकि अगर आपने कोई शेयर खरीदा और उस शेयर की डिलीवरी मिलने से पहले ही आपका ब्रोकर बंद हो जाता है तब आप उस शेयर को क्लेम नहीं कर सकते क्योंकि वह शेयर आपके डीमैट अकाउंट में आया ही नहीं। तो ऐसे में आपको नुकसान हो सकता है।

लेकिन अगर आपने शेयर खरीदा है और वह आपके डीमैट अकाउंट में मौजूद है और उसके बाद आपका ब्रोकर बंद हो जाता है तब आप उस शेयर को क्लेम करके उसे वापस ले सकते हैं। आइए जानते हैं आप उन शेयर्स को कैसे क्लेम कर सकते हैं।

ब्रोकर के बंद हो जाने पर आप अपने शेयर को कैसे क्लेम करें?

ब्रोकर के बंद हो जाने पर अपने शेयर को वापस लेने के लिए आपको अपने पसंद के किसी स्टॉक ब्रोकर के पास नया डीमैट तथा ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना होगा।

इसके बाद आपको अपने पुराने ब्रोकर से डीआईएस (DIS) स्लिप मांगना होगा। इस डीआईएस स्लिप की मदद से आप ऑफलाइन तरीके से अपने शेयर को ट्रांसफर कर सकते हैं।

डीआईएस स्लिप मिलने के बाद आपका जिस भी डिपोजिटरी के डीमैट अकाउंट में शेयर फंसा हो उस डिपोजिटरी के पास उस डीआईएस स्लिप के साथ एक शेयर ट्रांसफर एप्लीकेशन भी भेजना होगा।

इसके बाद आपका शेयर आपके नए डीमैट अकाउंट में ट्रांसफर हो जाएगा।

ब्रोकर के बंद होने के बाद आपके फंड्स का क्या होगा?

ब्रोकर के बंद होने के बाद अगर ट्रेडिंग अकाउंट में मौजूद फंड्स की बात करें तो सेबी के इन्वेस्टर प्रोटेक्शन फंड के तहत आपको अधिकतम 15 लाख रुपए तक ही मिल सकता है फिर चाहे आपके ट्रेडिंग अकाउंट में 15 लाख रुपए से भी ज्यादा फंड्स ही क्यों ना हो।

यह 15 लाख रुपए तक की अधिकतम राशि भी आपको तब ही मिलेगी जब आप ब्रोकर के बंद होने के अगले तीन सालों में अपने फंड को क्लेम करते हैं।

अगर आप तीन साल के बाद अपने फंड को क्लेम करते हैं तो आपको अपने फंड्स को क्लेम नहीं करने दिया जायेगा। इसीलिए ब्रोकर के बंद हो जाने पर तुरंत ही अपने फंड्स को क्लेम कर लें नहीं तो आपको नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।

इन सभी कठिनाइयों से बचने के लिए आपको किसी अच्छे ब्रोकर के पास ही अपना डीमैट अकाउंट तथा ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना चाहिए जिसके पास काफ़ी बड़ा क्लाइंट बेस हो और वह काफ़ी लोकप्रिय भी हो।

उम्मीद है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी और इससे भविष्य में आपको काफ़ी फ़ायदा होगा।

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